कहानीकार: साक्षी
पात्र:
1. रोहिणी - एक युवती
2. रोहिणी का पिता - एक सख्त और पारंपरिक व्यक्ति
दृश्य 1:
(रोहिणी और उसके पिता की बातचीत)
रोहिणी: पापा, अब तो समय बदल गया है। सब कुछ डिजिटल हो गया है।
पिता: बदल गया है? क्या मतलब है तुम्हारा? मैंने तुम्हारी हैंडराइटिंग सुधारने में पूरा बचपन गुजार दिया, और अब तुम कहते हो कि समय बदल गया है?
रोहिणी: हाँ पापा, अब तो हम कीबोर्ड पर टाइप करते हैं। हैंडराइटिंग की जरूरत नहीं पड़ती।
पिता (हैरान): कीबोर्ड पर टाइप करते हो? यह क्या बला है? मैं तो तुम्हें अच्छे से खत लिखना सिखा रहा था।
दृश्य 2:
(रोहिणी की व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया)
रोहिणी: पापा, अब तो लोग व्हाट्सएप और ईमेल पर बात करते हैं। खत लिखने का जमाना गया।
पिता (व्यंग्यात्मक): अच्छा, तो अब लोग एक दूसरे को 'Hi' और 'Hello' लिखकर बात करते हैं, यह क्या शिक्षा है?
रोहिणी (हंसते हुए): पापा, आप समझ नहीं रहे हैं। समय बदल गया है। अब सब कुछ ऑनलाइन है।
पिता (नाराज): ऑनलाइन? ऑफलाइन भी कुछ सीखो। खत लिखना सीखो, खत पढ़ना सीखो। यह सब डिजिटल चक्कर में मत पड़ो।
दृश्य 3:
(रोहिणी की सफाई)
रोहिणी: पापा, मैं समझती हूँ। लेकिन अब तो जिंदगी कीबोर्ड पर बीत रही है। हमें समय के साथ चलना होगा।
पिता (हँसते हुए): ठीक है, ठीक है। जाओ, कीबोर्ड पर टाइप करो। लेकिन कभी-कभी खत भी लिखना।
रोहिणी (मुस्कराते हुए): ठीक है पापा, मैं कोशिश करुँगी।
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