Monday, 26 September 2022

मोहन अभी न आना

काव्यकर्ता: साक्षी

चित्ररचेता: स्वर्गीय टी आर वराहमूर्ति

मोहन अभी न आना

दर्शन मुझे न देना

जब तक न बन सकूँ मैं

अर्जुन सखा तुम्हारा 

मोहन अभी न आना...

मन के विकार कौरव !

बन के खड़े हैं योद्धा !!

पढ़ वेद ग्रंथ सारे!

कहला रहे प्रबोधा!!

जी चाहता सभी को!

मै जीत कर दिखाऊँ!!

विश्वास बल भुजा पर!

इक नाम का सहारा!!!

मोहन अभी न आना .....

ठहरो ज़रा मुरारी!

रथ मै बना रहा हूं!!

धीरज व शूरता के पहिये!

लगा रहा हूं!!

जिन पर लपेटे दम की!

हैं शेषनाग जैसी!

बजरंग ॐ नारा !!

मोहन अभी न ....

दया विनम्रता है मेरे!

रेशम लगाम डोरे!

क्षमा याचना प्रेम भक्ति!

हैं शवेत अश्व घोड़े !!

रथ ब्रह्म रूप न्यारा!!

मोहन अभी न......


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