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उम्रदराज न बनें
उम्र को दराज़ में रख दें
खो जाएं ज़िन्दगी में
मौत का इन्तज़ार न करें
जिनको आना है आए
जिसको जाना है जाए
पर हमें जीना है
ये न भूल जाएं
जिनसे मिलता है प्यार
उनसे ही मिलें बार बार
महफिलों का शौक रखें
दोस्तों से प्यार करें
जो रिश्ते हमें समझ सकें
उन रिश्तों की कद्र करें
बंधें नहीं किसी से भी
ना किसी को बँधने पर
मजबूर करें
दिल से जोड़ें हर रिश्ता
और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें
हँसना अच्छा होता है
पर अपनों के लिये
रोया भी करें
याद आएं कभी अपने तो
आँखें अपनी नम भी करें
ज़िन्दगी चार दिन की है
तो फिर शिकवे शिकायतें
कम ही करें
उम्र को दराज़ में रख दें
उम्रदराज़ न बनें
* * * * *




By B S Ranganath Graphic courtesy: http://sunhakpeaceprize.org/en/ I t may feel like a distant hope, but my journey into the heart of time...